धीमे धीमे चल ज़िन्दगी

धीमे धीमे चल ज़िन्दगी, अभी कई रिश्ते निभाना बाकि है|
कुछ रिश्तों को सवारना बाकि है, कुछ फर्ज़ निभाना बाकि है|
कुछ को हसाना है, रूठें लोगों  को मनाना बाकि है|
कुछ ख्वाइशें अभी अधूरी है, कुछ कर्म अभी बाकि है|
कुछ लोग जो बीच रास्ते मैं छूठ गए,  उनको घर बुलाना बाकि है|
कुछ लोग जो रूठ गए, रूठ रूठ कर घुट गए उन लोगों मैं जान फुकना बाकि है|
हमपे जान छिड़कने वाले लोग अभी तुमपे और जान छिड़कना बाकि है|
धीमे धीमे चल ज़िन्दगी अभी कई रिश्ते निभाना बाकि है|

~पियूष पाण्डेय

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