प्यार, परिवार, दोस्ती, रिश्ते.....

प्यार, परिवार, दोस्ती, रिश्ते, ये सब मेहज एक शब्द नहीं, ये एक अटूट बंधन है, जिसे सब अपनी ज़िन्दगी मैं चाहते है |
रिश्ते वो जो मतलबी यार की तरहा ना हो, जब आप परेशान हो किसी बात से, जब आप के पास कोई उम्मीद ना रहें, जब आप टूट चुके हो, जब आप किसी अपने को खोदें, जब आप अपनों से हर जाते है, जब आपको सच मैं किसी की ज़रूरत हो, तब..... तब इन शब्दों को सँभालने वाला कोई मिल जाए, इसके मायने आम ज़िन्दगी मैं जो है, सो है पर उससे ऊपर उठकर, बस उसका इतना ही कहना काफ़ी हो आपके लिए की.... "परेशान ना हो  मैं हमेशा आपके साथ हूं " यकीन मानना वो इंसान अगर दूर बैठकर भी आपकी फ़िक्र करता हो उस इंसान का साथ कभी मत छोड़ना होसके  तो ज़िन्दगी भर के लिए उसका हाथ थाम लेना, जो सिर्फ आपको वहाँ तक देखना चाहता हो जहाँ तक आप जाना चाहते हो, आपके सपने को पूरा करने मैं आपके आगे खड़ा हो, चाहे वो जो भी हो, तो यकीन मानना वो इंसान आपको आपसे ज्यादा प्यार करता है उसके लिए फर्क नहीं पड़ता की आप उसपे कितना चिलाते हो, कितना गुस्सा करते हो या आपको वो गलत समझकर बैठ जाए, उसे कुछ फर्क नहीं पड़ता सिवाय आपका ख़याल रखने  और आपकी खुशी जो की उसके लिए सबसे इम्पोर्टेन्ट होती है, वो अचानक आपके सपने मैं आजाता है और उसे पूरा करने मैं लग जाता है,  वो आपके आस ही पास होता है जो हमेशा आपकी बैकबोन बनकर खड़ा रहता है, "जो आपको अपना समझता है ना, वो कभी भी आपको अकेले छोड़कर कभी नहीं जायेगा वाकई मैं नहीं जायेगा , जिन्हें रिश्तों की फ़िक्र होती है, वो कभी भी हाथ नहीं छोड़ते, जैसे माँ और पिता..... कुछ भी होजाये अपने बच्चों का साथ नहीं छोड़ते, अगर हम भी अपने हर रिश्ते को अपने माँ, बाप की ही तरहा संभाल कर रखते चले जाए तो कभी भी रिश्ते हमसे और हम रिश्तों से दूर नहीं होंगे, और कोई ऐसा है आपके ज़िन्दगी मैं तो उसे हमेशा के लिए अपने पास रखलो...... उसका हाथ थाम लो |

~पियूष

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