मदद
बड़े शर्म की बात हैं की लोग एक अच्छे पद पर पहुंच कर किया समझने लगते हैं वो आज तक मैं नहीं जान सका अगर उस काबिल हों की तुम्हारे मदद से किसी के घर का दिया जल सकता हैं तो जला लिया करो बस अपने दरवाजे से किसी को खाली हाथ मत भेजना जो भी तुमसे मदद मागने आए और सच मैं अपने आप को बड़े समझने लगे हों तो चुलू भर पानी में डूब मरो उसका भी कोई गम नहीं क्योंकी कुछ समय के लिए याद किए जाओगे उसके बाद कोई नहीं पूछने वाला और तुम्हारे हार की शुरुवात अब यही से शुरू ।
एक कहावत हैं, हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और होते हैं अब कहावत हैं भाई तो इसी कहावत पर एक बात हों जाए।..... तो बात कुछ इस तरहा से हैं की हमारे एक मित्र हैं,उनके ज़िन्दगी में कुछ ऐसी लगातार घटनाएं होने लगी की उनके सारे हाथ अब बंद हों चुके थे,अब भाई हमारा परेशान, हैरान की चल किया रहा हमारे ज़िन्दगी में खैर अब ये ज़िन्दगी ऊपर वाले ने दी हैं तो उसमे चीनी कम चाय तो चलता ही हैं यानी पूरी तरहा से अनबैलेंस, मतलब उसका मानना था ऐसा लेकिन इतना अनबैलेंस बस ये वो मानने को तैयार नहीं था खैर आगे बढ़ते हैं तो हुआ कुछ ऐसा की इतने कम समय में और कम ऐज में उसने ज़िन्दगी का मतलब असली ज़िन्दगी किया होती हैं उसका पहला स्टेज चढ़ चूका था, उसके घर के हालात कुछ ठीक नहीं थे।
उसने कई लोगों से मदद भी मांगी पर कोई नहीं उसके साथ खड़ा हुआ और ना ही उससे हाल ही चाल लिया वो जहाँ पर काम करके अपने सपने पूरा करता था वो तक उससे मुँह मोड़ लिए, उससे मिला जब मैं, तो अब वो उसके अंदर पहले वाली हरकते नहीं थी अब वो बिल्कुल शांत और अंदर से अकेला जिसे कहते हैं वो इंसान बन चूका था इस बीच में मैं हौसला देने की कोशिस करता था और हमने फिर प्रार्थना करना शुरू किया अपने आराध्य से अब हमारी या हम जैसे लोगों की प्राथनाओं का असर था या कुछ और.......वो पता नहीं,वो ईश्वर ही जाने पर वो सकुशल घर को आ गये ठीक हों कर।
लेकिन इस स्वार्थी दुनिया को सलाम, कभी अगर इतने काबिल बन जाना और लगे की सामने वाला तुमसे कुछ उम्मीद करहा तो बिल्कुल उसकी मदद करने से पीछे मत हटना चाहे वो कोई भी हों क्योंकि तुम्हे इतना कुछ दिया हैं ऊपर वाले ने तो उस काबिल बनाया हैं की तुम दूसरे की मदद कर सको खैर हमारे मित्र की अब कुछ चीजें ठीक होगई हैं और कुछ बाकि हैं वाकई जिसका कोई नहीं होता उसका ऊपर वाला ही होता हैं.......सिर्फ सुना भर था और अब देख भी लिया की सच्चे मन से की गयी प्राथना ईश्वर ज़रूर सुनता हैं और अगर नहीं सुनता हैं तो इसमें भी ईश्वर ने कुछ अच्छा ही सोचा होता हैं,...
कम से कम इस असली दुनिया में नकली लोगों का चहेरा सामने आ गया।
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