प्रेम

प्रेम प्रेम को पैदा करता हैं और नफरत नफरत को पैदा करती हैं। जो कुछ भी तुम देते हों वो उसी रूप मैं लौटकर आता हैं ये एक नियम हैं इस सृष्टि का इसलिए जो तुम चाहते हों वही दुनिया को दो, तुम काटें देकर फूल नहीं दे सकते और ख़याल रखना तुम्हारी संगति तुम्हारा निर्माण करती हैं, तुम जैसे लोगो के पास बैठोगे, वैसे होते जाओगे
खैर अस्ल में तुम उन्ही के पास बैठते ही हों जैसे तुमको बनना होता हैं। ( तो सही लोगों का और  सही चीजों का चुनाव करें ) बाकि.... 
।। राधे राधे।। 

पियूष~

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