मन का सारथी
(मन का सारथी)
(मेरे कलम से लिखें कुछ अंश )
गौर करने वाली बात यह की, हमारे मन का सारथी कौन है?
अच्छा सारथी, या बुरा सारथी, कौन?
अगर आपके मन का और जीवन का सारथी अच्छा हुआ तो आप सुकून भरी ज़िन्दगी जियोगे, नहीं तो परेशान घूमते फिरोगे तय आपको करना है की आपके मन और जीवन का सारथी कैसा होना चाहिए।
अर्जुन ने महाभारत कैसे जीत लिया? क्योंकि उनके सारथी थे भगवान श्री कृष्ण, अब हमारा मन भी एक पुरे रथ की तरहा ही है "मन" यानी घोड़ा जो की अभी यहाँ वहाँ भाग ही रहा है तो एक घोड़े को कौन काबू करेगा उस रथ पर बैठा उसका सारथी और सारथी आपका कैसा हों? भगवान श्री कृष्ण की ही तरहा हों ताकि ज़िन्दगी के ऐसे कई सारे महाभारत आप अच्छे से जीत ले,जब तक मन आपके वश में नहीं होगा तब तक आप कुछ नहीं कर सकते।
जब अर्जुन महाभारत के लड़ाई के दौरन नर्वस हो गये थे और वो भटक गए थे तब श्री कृष्ण ने ही उन्हें रास्ता दिखाया और उन्होंने ही बहुत अच्छे उपदेश दिए थे और आज आपलोग उन्हें "श्रीमत भगवतगीता" के नाम से जानते हों।
आप एक बड़े दौलतमंद तो बन सकते है लेकिन इज़्ज़त और वो नाम कहाँ से कमाएंगे जो इज़्ज़त से और प्यार से आपका नाम ले।
लोकप्रियता ऐसी होनी चाइये जो आपके नाम से लोग प्यार करें ना की दौलत देख कर, दौलत वाला लोकप्रियता ज्यादा दिन चलता नहीं है क्योंकि जब तक दौलत तब तक नाम, जिसदिन ज़मीन पर गिरे उसदिन कोई पूछने नहीं आएगा और अगर तुमको तुम्हारे व्यव्हार से लोग जानेगे तुमसे प्यार करेंगे उसदिन तुम ज़मीन पर गिरने वाले होंगे भी तो तुम्हे संभालने के लिए कई करोड़ों अरबों हाथ तुम्हारे आगे आजायेंगे।
तय आपको करना है, की आपके मन और जीवन का अच्छा और सच्चा सारथी वास्तव मैं है कौन?
राधे राधे
पियूष~
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