महादेव
छल जाए ना विज्ञान का उल्लास हमें, कही बना ना डाले अपना दास हमें, विज्ञानं के हर खोज का स्वागत हैं मगर
कहीं ले ना डूबे विज्ञान की प्यास हमें.......
सबसे बड़ा विज्ञान अपने अंदर ही समाया हुआ हैं।
"जो खोज लिया वो मोह से दूर, जो ना खोजा वो माया का धुल"... बस ध्यान लगाने की देरी है, आज कल हम सभी लोग, मोबाइल, इंटरनेट, और ना जाने किन, किन लोगों से घिरे पड़े हैं यह सुविधाएँ भी जरुरी हैं जीवन के लिए लेकिन कभी, कभी अपने अंदर की दुनियाँ से बात करनी चाहिए, सबसे बड़ा रहस्य अपने अंदर ही है, और सारे जवाब भी अपने अंदर ही हैं।
रहस्य इस बात का भी, की हम सभी लोगों के अंदर महाशक्तियों का सृजन होता रहता हैं और लगातार होता ही रहेता हैं , हम सभी लोग कभी,कभी उन शक्तिओं को महसूस करते रहते हैं, अगर ठीक से याद करें तो.. अब किसी के कदम किसी के लिए शुभ होता हैं तो किसी का औरा किसी लिए शुभ होता है यह सब जो आप जानते हैं यह भी उन्ही साधनाओं और शक्तियों का छोटा सा प्रतिक हैं और हम सभी लोग उन महनशक्तियों के करीब आसकते अगर अपने आपको अच्छे से अंदर तक ढूंढ लेते हैं तो....जैसे एक कदम अच्छाई की और यह भी किसी महाशक्तिओं से कम नही।
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